अफ्रीका में कैसे पहुंची थी भगवान शिव की महिमा |
Lord Shiva Temple in Africa
Vishv me bhagwan shiv ka mandir in hindi
शिव को देवों के देव कहते हैं, इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है।
शिव हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं।
वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी
अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है।
इनके पुत्र कार्तिकेय और गणेश हैं, तथा पुत्री
अशोक सुंदरी हैं। शिव अधिकतर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और
उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।
शिव के जन्म का कोई बड़ा प्रमाण नहीं है, वह
स्वयंभू हैं तथा सारे संसार के रचयिता हैं। उन्हें संहारकर्ता भी कहा जाता
है। उनके सिर में चंद्रमा तथा जटाओं में गंगा का वास है।
विश्व की रक्षा के लिये उन्होंने विष पान किया
था इसलिये उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। गले में नाग देवता विराजित हैं और
हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश पर उनका वास है।
अफ़्रीका या कालद्वीप, एशिया के बाद विश्व का
सबसे बड़ा महाद्वीप है। दक्षिण अफ़्रीका, अफ्रीका के दक्षिणी छोर पर स्थित
एक गणराज्य है।
इसकी सीमाएं उत्तर में नामीबिया, बोत्सवाना और
ज़िम्बाब्वे तथा उत्तर-पूर्व में मोज़ाम्बिक़ और स्वाज़ीलैंड के साथ लगती
हैं, जबकि लेसेथो एक स्वतंत्र ऐसा देश है, जो पूरी तरह से दक्षिण अफ़्रीका
से घिरा हुआ है।
आधुनिक मानव की बसावट दक्षिण अफ्रीका में एक
लाख साल पुरानी है। यूरोपीय लोगों के आगमन के दौरान क्षेत्र में रहने वाले
बहुसंख्यक स्थानीय लोग आदिवासी थे, जो अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों से
हजार साल पहले आए थे।
अगर हम गौर फरमाएं तो शिव जी के मंदिर विश्व भर में हैं, चाहे अमेरिका हो, ऑस्ट्रेलिया हो या फिर अफ्रीका।
अफ्रीका में 6 हजार वर्ष पूर्व प्रचलित था हिंदू धर्म। जी, आगे जानिए इस तर्क के पीछे की जानकारी।
भगवान शिव कहां नहीं हैं? कहते हैं कण-कण में हैं शिव, कंकर-कंकर में हैं भगवान शंकर।
हर जगह विद्यमान है शिव की महिमा। कैलाश में शिव और काशी में भी शिव और अब अफ्रीका में भी शिव।
साउथ अफ्रीका में भी शिव की मूर्ति का पाया जाना इस बात का सबूत है कि शिव की महिमा और प्रताप पूरे विश्व भर में है।
वस्तुतः आज से 6 हजार वर्ष पूर्व अफ्रीकी लोग भी हिंदू धर्म का पालन करते थे। यह विश्व सनातन रिवाजों से ओतप्रोत था?
साउथ अफ्रीका के सुद्वारा नामक एक गुफा में
पुरातत्वविदों को महादेव की 6 हजार वर्ष पुराना शिवलिंग मिला, जिसे कठोर
ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है।
इस शिवलिंग को खोजने वाले पुरातत्ववेत्ता हैरान हैं कि यह शिवलिंग यहां अभी तक सुरक्षित कैसे रहा!!
हाल ही में दुनिया की सबसे ऊंची शिवशक्ति की प्रतिमा का अनावरण दक्षिण अफ्रीका में किया गया।
इस प्रतिमा में भगवान शिव और उनकी शक्ति अर्धांगिनी पार्वती भी हैं। अद्भुत है यह दृश्य।
बेनोनी शहर के एकटोनविले में यह प्रतिमा स्थापित की गई है। इसके अनावरण के बाद शिव की महिमा चारो ओर फ़ैल गयी है।
हिन्दुओं के आराध्य शिव की प्रतिमा में आधी आकृति शिव और आधी आकृति मां शक्ति की है।
10 कलाकारों ने 10 महीने की कड़ी मेहनत के बाद इस प्रतिमा को तैयार किया है।
ये कलाकार भारत से गए थे। इस 20 मीटर ऊंची प्रतिमा को बनाने में 90 टन के करीब स्टील का इस्तेमाल हुआ है।
पृथ्वी पर बीते हुए इतिहास में सतयुग से कलयुग तक, एक ही मानव शरीर ऐसा है जिसके ललाट पर ज्योति है।
इसी स्वरूप द्वारा जीवन व्यतीत कर परमात्मा ने
मानव को वेदों का ज्ञान प्रदान किया है जो मानव के लिए अत्यंत ही
कल्याणकारी साबित हुआ है।
“वेदो शिवम, शिवो वेदम” परमात्मा शिव के इसी स्वरूप द्वारा मानव शरीर को रुद्र से शिव बनने का ज्ञान प्राप्त होता है।
WORLD'S TALLEST MURTHI OF ARDHNARISHWAR IN SOUTH AFRICA (Shiva Shakti Unveiling Benoni) (VIDEO)
Video - A Shiva temple believed to be 1000 years old has been located by archaeologists, three metres below ground at one of Indonesia's universities.
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